
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने आज भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India - CJI) के रूप में शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक औपचारिक समारोह में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।
जस्टिस गवई ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना का स्थान लिया, जिनका कार्यकाल 13 मई 2025 को समाप्त हो गया। परंपरा के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश को अगला CJI नियुक्त किया जाता है। जस्टिस खन्ना ने इस प्रक्रिया का पालन करते हुए केंद्र सरकार को जस्टिस गवई का नाम प्रस्तावित किया था।
हालांकि, जस्टिस गवई का कार्यकाल अपेक्षाकृत छोटा है। वे 23 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे, यानी उनके पास बतौर CJI लगभग 7 महीने का समय रहेगा। इस अल्प कार्यकाल के बावजूद, उनकी नियुक्ति कई मायनों में ऐतिहासिक है।
जस्टिस गवई देश के पहले बौद्ध और दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश बने हैं। इससे पहले, जस्टिस के. जी. बालकृष्णन एकमात्र दलित CJI थे, जिन्होंने 2007 से 2010 तक यह पद संभाला था। जस्टिस गवई की नियुक्ति सामाजिक न्याय और विविधता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, जस्टिस भूषण गवई को 24 मई 2019 को सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। इससे पहले वे बॉम्बे हाईकोर्ट में कार्यरत थे, जहां उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की थी।
उनका जन्म महाराष्ट्र में हुआ था और वे एक प्रतिष्ठित अधिवक्ता तथा न्यायिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता रावसाहेब गवई एक वरिष्ठ राजनेता और राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं। जस्टिस गवई ने अपने करियर की शुरुआत बॉम्बे हाईकोर्ट में वकालत से की थी और धीरे-धीरे न्यायपालिका में शीर्ष पदों तक पहुंचे।
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