राजस्थान के सशक्त और जनप्रिय संपत सिंह राजपुरोहित, जो राष्ट्रीय अपराध जांच ब्यूरो (NCIB) के स्टेट क्राइम इन्फॉर्मेशन ऑफिसर हैं, ने एक गंभीर और संवेदनशील मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) में दर्ज कराया है। इस शिकायत में उन्होंने एक युवती की आत्महत्या और पुलिस कदाचार की घटना की जांच की अपील की है, जिसके पीछे पुलिस की निष्क्रियता और आरोपियों से मिलीभगत की घातक भूमिका सामने आई है।
क्या है मामला?
यह मामला 30 अप्रैल 2025 का है, जब कविता चौहान (25 वर्ष), जो एक निजी अस्पताल में नर्स के रूप में कार्यरत थीं, को पड़ोसियों द्वारा बुरी तरह से पीटा गया। इस हमले में कविता के शरीर पर गंभीर चोटें आईं, जो मेडिकल रिपोर्ट में प्रमाणित हैं। इसके बावजूद, स्थानीय पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं की, और महज शांति भंग के आरोप में उन्हें छोड़ दिया।
अंततः, कविता ने आत्महत्या करने से पहले एक सुसाइड नोट छोड़ा, जिसमें उन्होंने पुलिस की निष्क्रियता और आरोपियों से मिलीभगत का जिक्र किया। उनका कहना था, “100 दिन डरकर जीने से अच्छा एक दिन शेर की तरह जी लूँ... मेरी छाती पर नाखून मारे, कोई साथ नहीं दे रहा, अब और सहन नहीं कर सकती…”
संपत सिंह राजपुरोहित ने उठाई आवाज़:
संपत सिंह राजपुरोहित ने इस प्रकरण में NHRC को पत्र लिखकर पुलिस की भूमिका, न्याय की धीमी प्रक्रिया और मानवाधिकारों के उल्लंघन पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि यह मामला न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी है, बल्कि यह मानवाधिकारों का उल्लंघन भी है। यह घटनाक्रम संविधान की धारा 14 (समानता), धारा 21 (जीवन व स्वतंत्रता) और धारा 39-A (न्याय तक समान पहुँच) का उल्लंघन करता है।
NHRC से मांगी गई कार्रवाइयाँ:
राजपुरोहित ने NHRC से निम्नलिखित कठोर कार्रवाई की अपील की है:
1. पीड़िता के आत्महत्या मामले में स्वतः संज्ञान लेकर पूरी निष्पक्षता से जांच की जाए।
2. थानाधिकारी भंवरसिंह जाखड़ को निलंबित कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
3. पार्षद जानकी देवी की भूमिका की जांच की जाए, जो आरोपियों का खुला समर्थन कर रही थीं।
4. पीड़ित परिवार को मुआवजा (कम से कम ₹ लाख50) और सुरक्षा मुहैया कराई जाए।
संपत सिंह का यह कदम राजस्थान सरकार और पुलिस प्रशासन के लिए भी एक बड़ा संदेश है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है और ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से यही उम्मीद है कि वे इस मामले को गहराई से देखें और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए तत्परता से कार्रवाई करें।