अपराध

कश्मीर में ओवर ग्राउंड वर्कर्स की भूमिका और आतंकवाद से जुड़े नए खुलासे

03, May 2025 News19Raj Today's News Jaipur, Hindi news, Jaipur news 30

कश्मीर में आतंकवाद की जड़ें गहरी हो चुकी हैं और इसके पीछे एक बड़ा कारण ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs) की मौजूदगी है। ये वही लोग होते हैं जो आतंकियों की मदद करते हैं, उन्हें आश्रय, खाना-पीना और अन्य जरूरी चीजें उपलब्ध कराते हैं। रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी, जो 39 साल तक सेना में रहे और लंबी अवधि तक साउथ कश्मीर में पोस्टेड रहे, ओवर ग्राउंड वर्कर्स की इस भूमिका को विस्तार से समझाते हैं।

 कहना है कि ओवर ग्राउंड वर्कर्स सामान्य कश्मीरियों के रूप में दिखते हैं और उन्हें पहचान पाना अत्यंत कठिन है। ये लोग आतंकियों के साथ मिलकर काम करते हैं, उनकी गतिविधियों पर नजर रखते हैं और जब आवश्यकता होती है, तो आतंकियों को मदद पहुंचाते हैं। इन लोगों के बारे में कुछ भी कहना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि ये आम तौर पर दुकानदार, खच्चर चराने वाले, पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर, पुलिस वाले या अन्य किसी सामान्य पेशे से जुड़े हो सकते हैं। कुलकर्णी ने उदाहरण देते हुए कहा, “आपको पता भी नहीं चलेगा कि एक साधारण कश्मीरी जो आमतौर पर दिखता है, वह एक आतंकवादी का मददगार हो सकता है।"

उन्होंने यह भी कहा कि अगर भगवान ओवर ग्राउंड वर्कर्स को सींग दे देता, तो कश्मीर में बहुत से लोगों के सींग नजर आते। इस बयान का मतलब था कि यदि इन वर्कर्स की पहचान करना आसान होता, तो वे बहुत बड़ी संख्या में होते, क्योंकि ये लोग आतंकवादियों के साथ मिलकर काम करते हैं और उन्हें सुरक्षित रखने का काम करते हैं।

22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र की बायसरन घाटी में आतंकवादियों ने 26 टूरिस्टों की हत्या की थी। इस हत्या के बाद आतंकवादी फरार हो गए थे, लेकिन इसके पीछे जो मुख्य कारण था, वह यही ओवर ग्राउंड वर्कर्स थे। इन वर्कर्स ने आतंकियों को स्थानीय सहायता और ठिकाना मुहैया कराया था, जिससे वे आसानी से भागने में सफल हो गए। संजय कुलकर्णी ने यह खुलासा किया कि इन ओवर ग्राउंड वर्कर्स का आतंकवादियों के लिए एक तरह से 'आंख' और 'कान' की तरह काम करना होता है। ये लोग स्थानीय इलाके को बखूबी जानते हैं और सेना या पुलिस की गतिविधियों पर नजर रखते हैं।

इसके अलावा, ओवर ग्राउंड वर्कर्स को लेकर सेना और सुरक्षा बलों के लिए चुनौती यह है कि इन्हें पकड़ना या पहचानना बेहद मुश्किल होता है क्योंकि ये लोग आमतौर पर कोई संदिग्ध गतिविधि नहीं दिखाते और सामान्य जीवन जीते हैं। यही कारण है कि कश्मीर में आतंकवाद को समाप्त करना और वहां के सुरक्षा हालात को बेहतर बनाना एक जटिल और लंबे समय तक चलने वाली प्रक्रिया है।

 



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