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कोलकाता होटल अग्निकांड: लापरवाही, बंद खिड़कियां और बुझती ज़िंदगियां

02, May 2025 News19Raj Today's News Jaipur, Hindi news, Jaipur news 22

29 अप्रैल की रात को कोलकाता के घनी आबादी वाले बड़ा बाजार इलाके में स्थित ऋतुराज होटल में लगी भीषण आग ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया। इस दर्दनाक हादसे में 14 लोगों की मौत हो गई और 13 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। सबसे दिल दहला देने वाली तस्वीर होटल की तीसरी मंजिल की एक खिड़की से सामने आई, जहां एक मासूम बच्चा अपनी मां के लिए चीख रहा था, लेकिन आग की लपटों ने उसे अपनी चपेट में ले लिया, इससे पहले कि कोई उसे बचा पाता।

होटल के 42 कमरों में उस वक्त कुल 88 लोग ठहरे हुए थे। जैसे ही आग लगी, वहां भगदड़ मच गई। कई लोगों की जान दम घुटने से चली गई, जबकि कुछ लोग खिड़कियों से कूदकर जान बचाने की कोशिश में मारे गए। राहत और बचाव कार्य पूरी रात चला और अगली सुबह 30 अप्रैल को 9 बजे तक फंसे हुए लोगों को निकाला जाता रहा।

हादसे के बाद प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि दमकल की गाड़ियों को होटल तक पहुंचने में एक घंटे से ज्यादा का समय लग गया। अगर रेस्क्यू जल्दी शुरू हो जाता, तो शायद कई लोगों की जान बचाई जा सकती थी। सबसे चिंताजनक बात यह रही कि होटल की संरचना और व्यवस्थाएं खुद इस त्रासदी की बड़ी वजह बन गईं — न फायर फाइटिंग सिस्टम काम कर रहा था, न वेंटिलेशन और एग्जिट के रास्ते खुले थे। खिड़कियां भी ईंट और सीमेंट से पूरी तरह बंद कर दी गई थीं, जिससे न तो धुआं बाहर निकल सका और न ही लोग।

यह हादसा सिर्फ एक इमारत में लगी आग नहीं थी, बल्कि उस लापरवाह सिस्टम की पोल खोलता है जो सुरक्षा मानकों की धज्जियां उड़ाकर इंसानी ज़िंदगियों को खतरे में डालता है। अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस होटल के पास फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट था? अगर नहीं, तो इस पर पहले कार्रवाई क्यों नहीं हुई? यह घटना एक बार फिर यह याद दिलाती है कि सिर्फ कागज़ी खानापूर्ति से नहीं, बल्कि ज़मीन पर लागू सुरक्षा उपायों से ही जानें बचाई जा सकती हैं।

 

 



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