"नए भारत की आतंकवाद के खिलाफ सर्वआयामी रणनीति" विषय पर आयोजित गोलमेज कॉन्क्लेव का आयोजन 29 मई 2025 को जयपुर स्थित संविधान क्लब में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। कार्यक्रम में देश के प्रमुख रक्षा विशेषज्ञों, भूतपूर्व सैनिकों, कूटनीतिक जानकारों और नागरिक विचारकों ने भाग लिया। कॉन्क्लेव का संचालन कर्नल देव आनंद लोहमरोर ने किया, जबकि कार्यक्रम के आयोजक श्री विक्रांत ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और वक्ताओं का परिचय दिया। उपस्थित प्रतिभागियों को आयोजक टीम द्वारा गुलाब भेंट कर सम्मानित किया गया।कॉन्क्लेव की शुरुआत वरिष्ठ कूटनीतिज्ञ श्री गौरी शंकर गुप्ता के उद्घाटन वक्तव्य से हुई, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि और उसकी कूटनीतिक रणनीति पर प्रकाश डाला।
आतंकवाद के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य पर विमर्श :
डॉ. नेहा लोहमरोर (पूर्व जेएनयू शोधकर्ता व आतंकवाद विशेषज्ञ) ने अपने ऐतिहासिक विश्लेषण में पाकिस्तान को वैश्विक आतंकवाद का पालक बताया। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के इतिहास और उसके वैचारिक स्रोतों की गहराई से विवेचना की। उन्होंने बताया कि कैसे अफगानिस्तान से सोवियत वापसी के बाद पाकिस्तान कट्टरपंथ और आतंक का केंद्र बन गया। उन्होंने मुंबई 26/11, न्यूयॉर्क 9/11, मैड्रिड ट्रेन ब्लास्ट और लंदन अंडरग्राउंड धमाकों जैसे वैश्विक आतंकी घटनाओं का संदर्भ देते हुए पाकिस्तान की भूमिका को उजागर किया। विशेष रूप से, उन्होंने 8 मई 2025 को पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों द्वारा आतंकवादियों के जनाज़ों में भाग लेने की घटना को चिंता का विषय बताया।
AWPO जयपुर के निदेशक कर्नल राजेश भुकर ने आतंक के विरुद्ध भारत की रणनीति में हुए परिवर्तन की विस्तार से व्याख्या की। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की सामरिक नींव और इसके भविष्य के आयामों की स्पष्ट व्याख्या की।उन्होंने भारतीय नागरिकों से आह्वान किया कि वे सिर्फ युद्धभूमि पर ही नहीं, बल्कि देश के भीतर भी योगदान दें—स्वदेशी रक्षा तकनीकों को अपनाएं, आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करें, और पाकिस्तान समर्थक देशों जैसे तुर्की, चीन और मलेशिया के उत्पादों का बहिष्कार करें। पूर्व वायुसेना अधिकारी स्क्वाड्रन लीडर विभुति ने साइबर व तकनीकी युद्ध की चुनौतियों पर प्रकाश डाला और बताया कि आतंकवाद के विरुद्ध मानसिक सशक्तता और साइबर जागरूकता कितना आवश्यक है।
कॉन्क्लेव में डॉ. संजय शर्मा (डीन, जेईसीआरसी यूनिवर्सिटी), कर्नल अनिल माथुर, कर्नल अनुपम पारीक, कर्नल भट्टाचार्य, और लेफ्टिनेंट कर्नल दिनेश बंसल ने भी पाकिस्तान द्वारा भारत में फैलाए जा रहे आतंकवाद पर अपने अनुभव साझा किए। श्री मुरारी गुप्ता (मीडिया प्रतिनिधि), निशांत शर्मा (डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग उद्योग) और अनुज आहूजा (एडटेक उद्यमी) ने अपने-अपने क्षेत्र में आतंकवाद के खिलाफ जागरूकता और सहभागिता पर विचार व्यक्त किए।
सत्र संचालन और समापन टिप्पणी:-
संपूर्ण सत्र का कुशल संचालन कर्नल देव आनंद लोहमरोर द्वारा किया गया, जिन्होंने सभी वक्ताओं को संतुलित रूप से मंच दिया और चर्चा को सारगर्भित बनाया। समापन टिप्पणी में उन्होंने कहा, “अब भारत आतंकवाद के प्रति कोई नरमी नहीं दिखाएगा – पाकिस्तान की किसी भी आतंकी हरकत का उत्तर समान या अधिक तीव्र प्रतिशोध से दिया जाएगा।” उन्होंने राष्ट्रीय नेतृत्व और भारतीय जनता को इसके लिए बधाई दी, साथ ही दो महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों की ओर ध्यान आकर्षित किया: "डिफेंस पर्सनल्स ट्राइब्यूनल" की स्थापना की आवश्यकता ताकि सैनिक, सैनिक परिवार एवं भूतपूर्व सैनिकों की समस्याओं का उचित समाधान हो सके। वीर नारियों को सरकारी रोजगार में आरक्षण और सेवानिवृत्त सैनिकों को सम्मानजनक पुनर्वास पर भारत सरकार द्वारा कानून बनाए जाने की जरूरत पर जोर दिया, विशेषकर वे जो 60 वर्ष की आयु से पहले ही सेवा निवृत्त हो जाते हैं। इस कॉन्क्लेव ने आतंकवाद के विरुद्ध भारत के बदलते दृष्टिकोण, कूटनीतिक रणनीति और सामाजिक साझेदारी की एक नई दिशा को प्रस्तुत किया है। अब आतंक के विरुद्ध युद्ध केवल सीमा पर नहीं, बल्कि विचार, समाज और तकनीक में भी लड़ा जा रहा है—और यह निर्णायक है।