
जयपुर। राजस्थान सरकार की बहुचर्चित “मेधावी छात्रा स्कूटी योजना” में भारी लापरवाही और कुप्रबंधन सामने आया है। ₹100 करोड़ की लागत से खरीदी गई हजारों स्कूटियां न समय पर वितरित हुईं, न ही आज तक पात्र छात्राओं को मिल पाई हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इन स्कूटियों को वर्षों से कॉलेज परिसरों, गोदामों और खुले मैदानों में यूं ही धूल खाते हुए छोड़ दिया गया है। कई स्कूटियां अब जंग खाकर कबाड़ में तब्दील हो चुकी हैं।
इस पूरे मामले को गंभीर मानते हुए राष्ट्रीय अपराध जांच ब्यूरो (NCIB), राजस्थान के राज्य अपराध सूचना अधिकारी श्री सम्पत सिंह राजपुरोहित ने इस पर राज्य प्रशासन को घेरते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC), नई दिल्ली में शिकायत दर्ज करवाई है। उन्होंने इसे न सिर्फ प्रशासनिक विफलता, बल्कि मेधावी छात्राओं के शिक्षा अधिकार और मानवाधिकारों का सीधा उल्लंघन करार दिया है।
श्री राजपुरोहित ने बताया कि इस योजना का उद्देश्य बेटियों को उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित करना था, लेकिन अब यह योजना कागजों में सिमट कर रह गई है। बीते दो-तीन वर्षों में करीब 13,000 छात्राएं अपनी स्कूटी पाने के लिए बार-बार जिला कलेक्टर कार्यालय, कॉलेज प्रशासन और शिक्षा विभाग के चक्कर लगा रही हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं। कई छात्राओं की पात्रता सूची में नाम आने के बावजूद उन्हें आज तक स्कूटी नहीं दी गई।
सम्पत सिंह राजपुरोहित का कहना है कि, “यह सिर्फ आर्थिक अनियमितता नहीं, बल्कि हजारों बेटियों के भविष्य से खिलवाड़ है। सरकार की निष्क्रियता और उदासीनता ने इन छात्राओं के आत्मविश्वास और शिक्षा में उनकी निरंतरता को नुकसान पहुंचाया है। यदि समय पर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह मामला हम उच्च न्यायालय तक ले जाएंगे।”
इस मामले की सच्चाई सबसे पहले दैनिक भास्कर की वरिष्ठ पत्रकार छवि अवस्थी की रिपोर्ट में उजागर हुई, जिसमें स्पष्ट रूप से दिखाया गया कि किस तरह सरकारी कॉलेज परिसरों और मैदानों में स्कूटियां लावारिस स्थिति में पड़ी हुई हैं। कई स्थानों पर स्कूटियों पर धूल की मोटी परत और जंग स्पष्ट दिखाई देता है, जिससे यह साफ होता है कि वर्षों से इन पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।
इस गंभीर शिकायत को मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान में लेते हुए डायरी नंबर 12763/IN/2025 पर दर्ज कर लिया है। अब यह उम्मीद जताई जा रही है कि आयोग इस मामले में स्वतंत्र जांच करेगा और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।
राजस्थान जैसे राज्य में, जहां बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए करोड़ों रुपए की योजनाएं चलाई जाती हैं, वहां इस तरह की लापरवाही चिंताजनक है। इस घोटालेनुमा स्थिति ने राज्य की योजनाओं की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
सम्पत सिंह राजपुरोहित, जो लंबे समय से सामाजिक न्याय, पारदर्शिता और जनहित के मुद्दों पर मुखर रहते हैं, ने यह स्पष्ट किया है कि वे इस मामले को अंतिम निष्कर्ष तक लेकर जाएंगे, ताकि आने वाले समय में किसी भी बेटी का भविष्य लापरवाही की भेंट न चढ़े।