
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने पूर्व सीआरपीएफ कांस्टेबल मुनीर अहमद की याचिका पर केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) और सीआरपीएफ को नोटिस जारी किया है। मुनीर, जिन्होंने पाकिस्तानी महिला से शादी के बाद बर्खास्तगी को चुनौती दी है, ने अदालत में दावा किया कि उनकी बर्खास्तगी अनुचित और मनमानी थी।
जस्टिस जावेद इकबाल वानी ने वकील अंकुर शर्मा की दलीलों के बाद यह आदेश दिया और गृह मंत्रालय व सीआरपीएफ को 30 जून तक जवाब दाखिल करने को कहा है। मुनीर का कहना है कि उन्होंने सभी नियमों का पालन करते हुए अपनी चचेरी बहन मीनल खान से शादी के इरादे की जानकारी सीनियर अधिकारियों को दी थी, जो पाकिस्तानी नागरिक हैं।
मुनीर ने 2022 में आवेदन दिया था, जो जनवरी 2023 में आपत्तियों के कारण वापस कर दिया गया था, लेकिन 2023 और 2024 में हुए पत्राचार से साबित होता है कि उन्होंने सही सूचना दी थी। मार्च 2025 में उन्हें भोपाल में स्थानांतरित किया गया, जहां उनकी पत्नी के पाकिस्तानी होने का उल्लेख पोस्टिंग डायरी में भी था। मई 2025 में उनकी सेवा समाप्त कर दी गई।
मुनीर ने इस मामले में बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं के समर्थन पत्र भी कोर्ट में प्रस्तुत किए हैं। राज्यसभा सांसद गुलाम अली खटाना और सांसद जुगल किशोर शर्मा ने भी विदेश मंत्री और गृह राज्य मंत्री को उनके पक्ष में पत्र लिखे थे।
यह मामला सीमा पार विवाह से जुड़े सुरक्षा कर्मचारियों के लिए कानूनी चुनौतियों को उजागर करता है। हाईकोर्ट की अगली सुनवाई इस संदर्भ में महत्वपूर्ण मिसाल साबित हो सकती है।
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