
छठ गीतों को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने वाली प्रसिद्ध लोकगायिका शारदा सिन्हा को मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है। उनके पुत्र अंशुमान सिन्हा ने यह पुरस्कार ग्रहण करते हुए कहा कि यह गौरवपूर्ण क्षण तो था, लेकिन उनकी मां की अनुपस्थिति ने इस पल को अधूरा बना दिया।
आईएएनएस से बातचीत में अंशुमान ने कहा, "मां को यह सम्मान पहले मिल जाना चाहिए था। 2018 में उन्हें पद्म भूषण दिया गया, अगर पद्म विभूषण कुछ वर्ष पहले मिल गया होता, तो शायद वे आज हमारे बीच होतीं। लोक विधा के किसी कलाकार को तीनों पद्म सम्मान मिलना अपने आप में इतिहास है।"
उन्होंने आगे कहा कि शारदा सिन्हा न केवल बिहार की सांस्कृतिक विरासत थीं, बल्कि उन्होंने छठ पर्व को दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाया। “अगर आज छठ को वैश्विक स्तर पर लोग जानते हैं, तो उसमें मां का बड़ा योगदान है। उनकी विरासत को बचाकर रखना हम सबकी जिम्मेदारी है।”
अंशुमान ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने मां को उचित सम्मान दिया, लेकिन राज्य सरकार इससे पीछे रही। उन्होंने अपील की कि बिहार सरकार को शारदा सिन्हा की स्मृति में एक संग्रहालय या कोई स्मारक जरूर बनवाना चाहिए।
बता दें कि शारदा सिन्हा ने भोजपुरी और मैथिली में छठ गीतों को गाकर इन्हें जन-जन तक पहुंचाया। उनके गीत और छठ पर्व एक-दूसरे के पूरक बन चुके हैं। दुर्भाग्यवश, उनका निधन 5 नवंबर 2024 को छठ के पहले दिन दिल्ली में हुआ था। भारत सरकार ने उनकी स्मृति में पद्म विभूषण देने की घोषणा की थी।
AB 208 Nirman Nagar Vivekanand Marg Ajmer road jaipur - 302019
Latest Videos
Advertisement Videos
Trend Videos