
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के कसूर जिले में हाल ही में एक ऐसा दृश्य देखने को मिला, जिसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान सरकार और प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के बीच सांठगांठ की वास्तविकता को पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया। यह कोई साधारण आरोप नहीं था, बल्कि कैमरे में कैद हुई स्पष्ट तस्वीरें थीं, जिनमें पाकिस्तान सरकार के उच्च पदस्थ मंत्री और पंजाब विधानसभा के स्पीकर, आतंकवाद के सबसे कुख्यात चेहरों के साथ खुलेआम मंच साझा कर रहे थे।
पाकिस्तान के खाद्य मंत्री मलिक रशीद अहमद खान और पंजाब विधानसभा के स्पीकर मलिक मोहम्मद अहमद ख़ान, जो पाकिस्तान के वर्तमान प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ और मरियम नवाज के करीबी माने जाते हैं, निर्लज्जतापूर्वक लश्कर-ए-तैयबा के एक सार्वजनिक मंच पर कुख्यात वैश्विक आतंकवादी अमीर हमजा और पहलगाम आतंकी हमले के मास्टरमाइंड माने जाने वाले सैफुल्लाह कसूरी के साथ बैठे हुए थे। इन नेताओं और इन खूंखार आतंकवादियों की ये तस्वीरें और वीडियो अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की पहले से ही धूमिल छवि को और भी गहराई से नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहे हैं, जिससे यह साफ हो गया है कि पाकिस्तान किस हद तक आतंकवाद को राज्य प्रायोजित संरक्षण दे रहा है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि इन जिम्मेदार पदों पर बैठे नेताओं ने न केवल इन आतंकवादियों के मंच पर पहुंचने से पहले खुद आगे बढ़कर उनका स्वागत करने की जिम्मेदारी उठाई, बल्कि उन्होंने मंच पर पहुंचकर सैफुल्लाह कसूरी और कुख्यात आतंकी हाफिज सईद के बेटे तल्हा सईद से गर्मजोशी से गले मिलते हुए भाषण भी दिए। इन शर्मनाक भाषणों में इन आतंकवादियों को पाकिस्तान की एक प्रतीकात्मक और गौरवशाली छवि के तौर पर महिमामंडित करने का घिनौना प्रयास किया गया, जो आतंकवाद के प्रति पाकिस्तान के वास्तविक रवैये को दर्शाता है।
लश्कर-ए-तैयबा के इस सार्वजनिक मंच से जो कुछ भी कहा गया, वह न केवल पड़ोसी देश भारत के विरुद्ध खुलेआम जहर उगलने के समान था, बल्कि संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा वैश्विक आतंकवादी घोषित किए गए इन अपराधियों को नायक के रूप में पेश करने की एक निंदनीय और शर्मनाक कोशिश भी थी। पाकिस्तान के केंद्रीय मंत्री मलिक रशीद ने तो खुले मंच से यह बेहूदा घोषणा कर दी कि पाकिस्तान की 24 करोड़ की आबादी ने आतंकी सैफुल्लाह कसूरी और हाफिज सईद का रूप धारण कर लिया है। इससे भी अधिक आपत्तिजनक बात यह थी कि मंच से यह भी ऐलान किया गया कि भारत की ओर से मुरीदके स्थित लश्कर-ए-तैयबा के मुख्यालय पर की गई कथित स्ट्राइक में मारे गए लश्कर कमांडर मुदस्सिर के भाई को शहबाज शरीफ की सरकार सरकारी नौकरी देगी, जो आतंकवाद को प्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा देने और शहीद बताने जैसा कृत्य है।