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S-500 'प्रोमेथियस' – भारत की वायु सुरक्षा में क्रांति की ओर एक निर्णायक कदम..

28, May 2025 News19Raj Today's News Jaipur, Hindi news, Jaipur news 58

भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति आज एक ऐसे दौर में प्रवेश कर रही है जहां वायु एवं अंतरिक्ष रक्षा प्रणाली केवल सीमाओं की सुरक्षा तक सीमित नहीं, बल्कि एक राष्ट्र की वैश्विक स्थिति और रणनीतिक प्रभुत्व को भी परिभाषित करती है। रूस द्वारा विकसित आधुनिकतम वायु रक्षा प्रणाली S-500 प्रोमेथियस (Prometey) को भारत को निर्यात करने की इच्छा, वैश्विक सुरक्षा संतुलन में एक संभावित बड़े बदलाव का संकेत है।

वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में जहां चीन हाइपरसोनिक हथियारों और अंतरिक्ष हथियारकरण की दिशा में तेज़ी से बढ़ रहा है, पाकिस्तान अपने परमाणु एवं मिसाइल कार्यक्रमों में गुपचुप तेज़ी ला रहा है, वहीं भारत का S-500 जैसी प्रणाली की ओर रुख करना मात्र तकनीकी उन्नयन नहीं, बल्कि एक रणनीतिक आवश्यकता है।

 

S-500 प्रणाली: एक परिचय :- 

S-500 ‘प्रोमेथियस’ रूस की Almaz-Antey कंपनी द्वारा विकसित की गई पांचवीं पीढ़ी की लॉन्ग रेंज वायु एवं अंतरिक्ष रक्षा प्रणाली है। इसे विशेष रूप से उन खतरों को निष्क्रिय करने के लिए डिजाइन किया गया है जिन्हें पारंपरिक वायु रक्षा प्रणालियाँ रोकने में असमर्थ हैं – जैसे कि: अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM)।
.हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल्स।
.लो-अर्थ ऑर्बिट में मौजूद सैटेलाइट।
.स्टील्थ एयरक्राफ्ट।
.हवाई चेतावनी और नियंत्रण प्रणाली (AWACS)।
  नाम ‘प्रोमेथियस’, ग्रीक पौराणिक चरित्र से लिया गया है, जो मानवता को अग्नि देने वाला योद्धा था। यह नाम दर्शाता है कि यह प्रणाली रूस की सैन्य शक्ति में ‘नवयुग की अग्नि’ है – और भारत के लिए भी यह अग्निशक्ति समान साबित हो सकती है।

तकनीकी विशेषताएं
1. लक्ष्य भेदन क्षमता:- 
बैलिस्टिक मिसाइलों की इंटरसेप्शन रेंज: 500 से 600 किलोमीटर
.हवाई लक्ष्यों के लिए अधिकतम रेंज: 400 किलोमीटर
.ऑपरेशनल ऊंचाई: 180-200 किलोमीटर तक
2. मल्टी-लेयर सिस्टम:
एक साथ हवाई, अंतरिक्ष, और बैलिस्टिक खतरों का मुकाबला करने में सक्षम एवम मल्टीट्रैकिंग क्षमता: एक साथ 500 से अधिक लक्ष्यों को ट्रैक करने की शक्ति
3. रडार एवं ट्रैकिंग:- 
एक्टिव फेज्ड-ऐरे रडार (AESA) और मोबाइल अर्ली वॉर्निंग सिस्टम एवम इलेक्ट्रॉनिक काउंटरमेजर्स के खिलाफ उच्च सुरक्षा
4. मिसाइलें:- 
77N6-N और 77N6-N1 – जो न्यूक्लियर वॉरहेड ले जाने वाली मिसाइलों को भी इंटरसेप्ट कर सकती हैं। मिसाइलें खुद को लक्ष्य के पास स्वयं विस्फोट कर देती हैं जिससे उच्च विध्वंसक क्षमता प्राप्त होती है
5. मोबाइल सिस्टम:- 
ट्रक माउंटेड – त्वरित तैनाती के लिए उपयुक्त एवम कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में भी कार्यशील

भारत के लिए सामरिक परिवर्तन

1. चीन और पाकिस्तान के खतरों के विरुद्ध रक्षात्मक दीवार :- 
भारत की रक्षा प्रणाली अब तक मुख्यतः वायुक्षेत्र की सुरक्षा तक सीमित रही है। S-500 प्रणाली उसे बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा (BMD) की ओर ले जाती है। यह तकनीक भारत को - चीन की DF-17, DF-41 जैसी मिसाइलों और पाकिस्तान की Shaheen और Nasr श्रृंखला से सुरक्षा प्रदान कर सकती है। इसके अतिरिक्त, चीन द्वारा विकसित किए जा रहे हाइपरसोनिक हथियार आज भी किसी भी देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं। S-500 प्रणाली इन हाइपरसोनिक खतरों को ट्रैक और इंटरसेप्ट करने में सक्षम है।
2. अंतरिक्ष सुरक्षा और स्पेस-वारफेयर की तैयारी:- 
S-500 लो-अर्थ ऑर्बिट में भी लक्ष्यों को इंटरसेप्ट कर सकता है, जिससे भारत की Anti-Satellite (ASAT) क्षमताएं मजबूत होंगी। चीन के पास पहले से ही ASAT हथियार हैं और भारत ने 2019 में मिशन शक्ति द्वारा यह क्षमता सिद्ध की थी। S-500 इस दिशा में भारत को स्पेस-वारफेयर के लिए रणनीतिक रूप से तैयार करता है।
3. सामरिक आत्मनिर्भरता:- 
हालांकि यह प्रणाली रूस से ली जाएगी, लेकिन इसके साथ यदि भारत स्थानीय उत्पादन (ToT) की बात भी करता है, तो यह ‘मेक इन इंडिया’ को वायु रक्षा क्षेत्र में भी गहराई दे सकता है।

टैक्टिकल और ऑपरेशनल बदलाव

1. तेज़ी से तैनाती और रिएक्शन टाइम में कमी -
S-500 प्रणाली ट्रक आधारित है और इसे युद्धक्षेत्र में तत्काल तैनात किया जा सकता है। एक टैक्टिकल कमांड के तहत सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात कर, शत्रु के पहले ही वार को विफल किया जा सकता है।
2. मल्टी-थ्रेट नकारने की क्षमता :- 
यह प्रणाली ड्रोन, मिसाइल, फाइटर, क्रूज़ मिसाइल, हाइपरसोनिक वेपन और सैटेलाइट सभी को एक साथ ट्रैक कर सकती है। इससे भारत की एयर डिफेंस एक True Multi-Layer Shield में तब्दील हो जाती है।
3. ऑपरेशनल लचीलापन :- 
भारत के मौजूदा रक्षा ढांचे – जैसे कि आकाश, बर्क-8, स्वदेशी BMD Phase I & II – के साथ इस प्रणाली का इंटीग्रेशन भारत की रक्षा प्रणाली को एक अभेद्य कवच प्रदान करेगा।

कूटनीतिक प्रभाव

1. रूस-भारत रक्षा संबंधों की नई ऊंचाई :- 
S-500 की आपूर्ति भारत को करना रूस का अत्यंत विश्वास दर्शाता है। यह संकेत देता है कि भारत को रूस अपनी रणनीतिक प्राथमिकताओं में टॉप टियर में रखता है । इससे ब्रह्मोस, S-400, T-90, और AK-203 जैसे परियोजनाओं को और मजबूती मिलेगी।
2. अमेरिका की संभावित प्रतिक्रिया:-
अमेरिका पहले ही S-400 के मामले में CAATSA का हवाला दे चुका है। S-500 की खरीद पर भी वैसा ही रुख संभव है। परंतु भारत की Indo-Pacific रणनीतिक भूमिका और Quad सदस्यता के कारण अमेरिका को विरोध संतुलित करना होगा।
3. चीन और पाकिस्तान की चिंताएँ :- 
S-500 प्रणाली की भारत में मौजूदगी से चीन को अपने हाइपरसोनिक डॉक्ट्रिन और सैटेलाइट कॉन्फिगरेशन को पुनः परिभाषित करना पड़ेगा। पाकिस्तान जैसे देश को यह मान लेना होगा कि भारत की वायु सीमाएँ अब उसकी पहुँच से बाहर हो चुकी हैं।

रणनीतिक सुझाव और विचार

1. पूर्ण इंटीग्रेशन जरूरी :- 
भारत को यह प्रणाली सिर्फ खरीदनी नहीं, बल्कि इसे अपने रक्षा नेटवर्क में पूर्ण रूप से एकीकृत करना होगा – इसके लिए: Tri-Service Command Centers को इसे संचालित करने के लिए प्रशिक्षित करना चाहिए। भारत के स्वदेशी रडार सिस्टम से डेटा फ्यूज़न पर काम करना होगा।
2. स्वदेशी उत्पादन पर जोर :- 
भारत को यह मांग करनी चाहिए कि रूस इस प्रणाली का लाइसेंस प्रोडक्शन या जॉइंट वेंचर दे। इससे भारत को भविष्य में इसकी मरम्मत और अपग्रेड में आत्मनिर्भरता मिलेगी।
3. स्पेस कमांड का सशक्तीकरण :- 
S-500 के साथ भारत को अपनी Defence Space Agency (DSA) को पूर्ण ऑपरेशनल कमांड देना चाहिए ताकि वायु एवं अंतरिक्ष सुरक्षा में तालमेल बने।

निष्कर्ष
भारत के लिए S-500 प्रणाली सिर्फ एक रक्षा उपकरण नहीं, बल्कि उसकी रणनीतिक आत्मनिर्भरता, वैश्विक कूटनीति, और तकनीकी उत्कृष्टता की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। यह भारत को वायु एवं अंतरिक्ष रक्षा के उस स्तर पर पहुँचा सकता है जहाँ अब तक केवल अमेरिका और रूस जैसे देश ही पहुंचे हैं।

जहाँ एक ओर यह प्रणाली भारत को चीन एवं पाकिस्तान जैसे परमाणु शक्तियों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करेगी, वहीं दूसरी ओर यह भारत की अंतरराष्ट्रीय भूमिका को भी एक ‘Responsible Military Power’ के रूप में स्थापित करेगी। यद्यपि इसमें कुछ कूटनीतिक और वित्तीय चुनौतियाँ हो सकती हैं, परंतु दीर्घकालिक दृष्टि से S-500 का भारत के पास होना उसे एशिया की वायु शक्ति में सर्वोच्च स्थान प्रदान कर सकता है।



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