
जयपुर के बस्सी टोल प्लाजा के पास छह दिन पहले बरामद हुए 2075 किलो विस्फोटक के मामले में पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। हालांकि, इतनी बड़ी मात्रा में मिले इस संवेदनशील और प्रतिबंधित विस्फोटक को लेकर अब भी कई सवालों के जवाब पुलिस के पास नहीं हैं। अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह विस्फोटक आखिर जयपुर क्यों लाया गया और इसका इस्तेमाल कहां और कैसे होने वाला था।
अब तक की जांच में क्या सामने आया?
पुलिस ने जिन दो लोगों को गिरफ्तार किया है, वे विस्फोटक से भरी पिकअप गाड़ी से जुड़े हुए थे। गिरफ्तार आरोपियों में एक रामजीलाल बलाई है, जो जयपुर के तूंगा इलाके का रहने वाला है और विस्फोटक से भरी पिकअप को एस्कॉर्ट कर रहा था। दूसरा आरोपी कृष्ण कुमार मीणा है, जो दौसा जिले के खानवास का निवासी है और पिकअप में खलासी के तौर पर काम कर रहा था।
इन दोनों आरोपियों को रिमांड पर लेकर पूछताछ की जा रही है। शुरुआती पूछताछ में उन्होंने कबूला है कि वे कई सालों से विस्फोटक सामग्री का अवैध रूप से परिवहन करते आ रहे हैं। पुलिस को इन्होंने ऐसे कई लोगों के नाम बताए हैं जो इस नेटवर्क से जुड़े हैं और नियमित रूप से इनसे विस्फोटक की सप्लाई लेते हैं। पुलिस अब इन सुरागों के आधार पर पूरे नेटवर्क का भंडाफोड़ करने में जुट गई है।
क्या है पूरा मामला?
10 मई को जयपुर-भरतपुर नेशनल हाईवे पर बस्सी टोल के पास एक संदिग्ध पिकअप गाड़ी खड़ी मिली थी। जब पुलिस ने गाड़ी की तलाशी ली तो उसमें से 2075 किलो विस्फोटक बरामद हुआ। यह विस्फोटक 63 कार्टन और 10 सफेद प्लास्टिक के कट्टों में रखा गया था। कार्टन पर "OPTISTAR EXPLOSIVE" और कट्टों पर "अमोनियम नाइट्रेट" लिखा हुआ था।
घटना की सूचना पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO) को दी गई। PESO की टीम ने मौके पर पहुंचकर विस्फोटक के सैंपल लिए और जांच में पाया कि यह अत्यधिक संवेदनशील और प्रतिबंधित श्रेणी का विस्फोटक है, जिसका उपयोग बिना अनुमति के पूरी तरह गैरकानूनी है।
पिकअप मालिक से संपर्क नहीं
पुलिस ने पिकअप वाहन के नंबर के आधार पर वाहन मालिक की पहचान की। गाड़ी ईश्वर सिंह पुत्र अर्जुन सिंह रावत, निवासी शिवपुर नरेली, मांडल, भीलवाड़ा के नाम पंजीकृत है। हालांकि, अब तक उससे कोई संपर्क नहीं हो सका है, जिससे मामले में और भी रहस्य गहराता जा रहा है।
छह दिन बाद भी नहीं मिली ठोस लीड
इस बड़ी बरामदगी के छह दिन बाद भी पुलिस के पास यह पुख्ता जानकारी नहीं है कि यह विस्फोटक कहां से आया और इसे जयपुर में किस मकसद से लाया जा रहा था। फिलहाल पुलिस दोनों आरोपियों से पूछताछ और नेटवर्क की कड़ियों को जोड़ने में जुटी है।
इस मामले ने न केवल सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है, बल्कि यह सवाल भी उठाया है कि इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक आखिर किसके निर्देश पर और किस लक्ष्य के लिए ट्रांसपोर्ट किया जा रहा था। आने वाले दिनों में पुलिस की कार्रवाई और पूछताछ इस रहस्य से पर्दा उठा सकती है।