जयपुर। बीआईटी मेसरा में रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री एवं जिला परिषद जयपुर द्वारा विज्ञान शिक्षकों के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा (जयपुर कैंपस) में 12 व 13 मई को हुआ। इस कार्यक्रम का उद्घाटन संस्थान के निदेशक डॉ. पीयूष तिवारी और कार्यक्रम समन्वयक डॉ. पुनीत शर्मा की उपस्थिति में हुआ, जिन्होंने प्रतिभागी शिक्षकों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा और उद्देश्य पर प्रकाश डाला। यह आयोजन रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री (आरएससी) के ’यूसुफ हमीद इंस्पिरेशनल साइंस प्रोग्राम’ के अंतर्गत आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य विज्ञान शिक्षकों को सक्रिय शिक्षण तकनीकों से परिचित कराना था रॉयल सोसायटी ऑफ केमिस्ट्री बेंगलुरु की ओर से 3 ट्रेनरों द्वारा कार्यशाला में सहयोग किया गया। कार्यक्रम पूरी तरह निःशुल्क था और इसमें जयपुर व आसपास के सरकारी एवं सहायता प्राप्त विद्यालयों के 227 से अधिक विज्ञान शिक्षकों ने भाग लिया।
प्रशिक्षण का आरंभ पहले दिन सुबह 10 बजे हुआ, जिसमें ’सक्रिय शिक्षण की ओर बढ़ना’ नामक सत्र में शिक्षकों को पारंपरिक शिक्षण विधियों से हटकर अधिक सहभागिता-आधारित तकनीकों से परिचित कराया गया। शिक्षकों ने समूहों में कार्य कर कक्षा योजनाओं का निर्माण किया और उन पर आधारित गतिविधियाँ प्रस्तुत कीं। इस सत्र में विशेष ध्यान इस बात पर रहा कि कक्षा में विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी कैसे सुनिश्चित की जाए।
दोपहर के सत्र में “विज्ञान में सक्रिय शिक्षण तकनीक विकसित करना” विषय पर शिक्षकों को सजीव प्रयोगों, विज्ञान आधारित खेलों और वर्चुअल प्रयोगशालाओं के माध्यम से सिखाया गया कि सीमित संसाधनों में भी विज्ञान को किस प्रकार जीवंत और रुचिकर बनाया जा सकता है। प्रशिक्षकों ने विडियो क्लिप, रसायनिक मॉडल और एनिमेशन की सहायता से विज्ञान की जटिल अवधारणाओं को सरल बनाने के उपाय सुझाए। दूसरे दिन के सत्र में ’विज्ञान में सक्रिय शिक्षण तकनीकों को और आगे ले जाना’ शीर्षक के अंतर्गत शिक्षकगण अमूर्त वैज्ञानिक विषयों जैसे कणों की प्रकृति और कोशिका की संरचना जैसे कठिन विषयों को पढ़ाने की रणनीतियाँ सीखेंगे।
प्रशिक्षक यह बताएंगे कि विद्यार्थियों के मन में इन विषयों को लेकर जो सामान्य गलतफहमियाँ होती हैं, उन्हें कैसे पहचाना जा सकता है और शिक्षण विधियों में किस प्रकार सुधार किया जा सकता है। विशेष रूप से ’डायग्नोस्टिक प्रश्नों’ का उपयोग कर छात्रों की समझ की गहराई को मापा और सुधारा जाएगा। प्रशिक्षण के अंत में प्रत्येक शिक्षक को आरएससी की ओर से तीन शिक्षण संसाधन सामग्री और एक प्रमाण पत्र प्रदान किया जाएगा। साथ ही यह भी आश्वासन दिया जाएगा कि भविष्य में यदि किसी भी शिक्षक को अतिरिक्त सहायता की आवश्यकता होगी, तो आरएससी की टीम तत्पर रहेगी। प्रतिभागी इस प्रशिक्षण को अत्यंत लाभकारी और व्यावहारिक बताएंगे, जिससे उन्हें अपनी कक्षाओं को अधिक प्रभावी और सहभागी बनाने की दिशा में नया दृष्टिकोण प्राप्त होगा।
यह आयोजन विज्ञान शिक्षा के क्षेत्र में एक सशक्त पहल सिद्ध होगा, जो शिक्षकों को पारंपरिक प्रणाली से आगे जाकर ईनोवेशन और क्रियाशीलता को अपनाने की प्रेरणा देगा।
आरएससी और बीआईटी मेसरा द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित यह प्रशिक्षण भविष्य में विज्ञान शिक्षण की गुणवत्ता में निश्चित रूप से सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहायक सिद्ध होगा। यह कार्यक्रम विज्ञान शिक्षकों के लिए एक व्यावसायिक विकास कार्यक्रम के रूप में भी कार्यरत रहा, जिसमें शिक्षकों के लिए एक विशेष एक घंटे की आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यकम में दिनांक 12 मई को अतिरिक्त मुख्य अभियंता वाटरशेड श्री दिनेश कुमार द्वारा जल संचय जागरूकता अभियान के बारे में जानकारी दी गई इसके अतिरिक्त, शिक्षकों को भारत सरकार की ’जल शक्ति अभियान’ योजना के बारे में भी जानकारी प्रदान की गई।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंत में जयपुर के जिला शिक्षा अधिकारी सुनील कुमार सिंघल ने अतिथि के रूप में उपस्थित होकर शिक्षकों का उत्साह बढ़ाया और कार्यक्रम की सराहना की। इस आयोजन ने यह स्पष्ट संकेत दिया कि जब शिक्षकों को उपयुक्त संसाधन, प्रशिक्षण और प्रोत्साहन प्राप्त होता है, तो वे भविष्य के वैज्ञानिक मस्तिष्कों को आकार देने में और अधिक प्रभावशाली भूमिका निभा सकते हैं। ऐसे प्रयास शिक्षा व्यवस्था को जमीनी स्तर पर सुदृढ़ करने के साथ-साथ राष्ट्रीय विकास में भी योगदान देते हैं। कार्यक्रम में सहयोग के लिए जिला परिषद, जयपुर की मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रतिभा वर्मा का आभार प्रकट किया गया।