
दिल्ली विधानसभा में नजफगढ़ का नाम बदलने की मांग उठने से राजनीति में एक नया मुद्दा उभरकर सामने आया है। बीजेपी विधायक नीलम पहलवान ने इस मामले को सदन में उठाते हुए नजफगढ़ का नाम बदलकर 'नाहरगढ़' करने की मांग की। उन्होंने कहा कि नजफगढ़ का नाम मुग़ल शासक औरंगजेब ने बदलकर रखा था, और अब इसे इतिहास की सहीता के अनुसार बदलने का समय आ गया है।
बीजेपी के अन्य नेताओं का समर्थन
बीजेपी के आरके पुरम से विधायक अनिल शर्मा ने भी नीलम पहलवान के प्रस्ताव का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि इतिहास में कुछ स्थानों के नाम गलत तरीके से बदले गए थे, और उनका सही करना जरूरी है। उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का उदाहरण दिया, जिन्होंने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किया। उनका कहना था कि नामों का शुद्धीकरण जरूरी है, ताकि इतिहास को सही तरीके से प्रस्तुत किया जा सके।
मुस्तफाबाद का नाम बदलने की भी मांग
अनिल शर्मा ने दिल्ली के एक अन्य इलाके मुस्तफाबाद का नाम बदलने की मांग का भी समर्थन किया। इससे पहले बीजेपी विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने भी मुस्तफाबाद का नाम बदलने की बात उठाई थी।
बीजेपी की ओर से नाम बदलने के लिए समर्थन
इस मुद्दे पर बीजेपी के नेताओं के बीच एकजुटता देखने को मिल रही है। बीजेपी का मानना है कि यदि किसी स्थान का नाम ऐतिहासिक गलतियों की वजह से बदला गया था, तो उसे सही किया जाना चाहिए, ताकि भारतीय इतिहास को सही रूप में प्रस्तुत किया जा सके।
इस मुद्दे पर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है, और इसे लेकर विभिन्न पार्टियों की प्रतिक्रियाएँ सामने आ सकती हैं। हालांकि, यह भी देखा जाएगा कि क्या यह नाम बदलने की प्रक्रिया समाज में बदलाव लाती है या केवल एक राजनीतिक विमर्श बनकर रह जाती है।
नजफगढ़ और अन्य स्थानों के नाम बदलने का राजनीतिक महत्व
इस तरह के नाम बदलने के मुद्दे भारतीय राजनीति में अक्सर चर्चा का विषय बनते हैं। नामों का बदलाव राजनीतिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से संवेदनशील मुद्दा हो सकता है, क्योंकि यह समाज में विविधता और इतिहास के प्रति सम्मान को प्रभावित करता है। ऐसे मामलों में आमतौर पर विवाद भी उत्पन्न हो सकते हैं, और इसके राजनीतिक परिणाम भी हो सकते हैं।