
भारत में बैंकों और एनबीएफसी (नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां) के गोल्ड लोन के एनपीए (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स) में वृद्धि देखी गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में बताया कि मार्च 2024 से जून 2024 के बीच शेड्यूल कमर्शियल बैंकों और अपर व मिडिल-लेयर एनबीएफसी के गोल्ड लोन में 18.14% का उछाल हुआ है। इसी दौरान बैंकों के गोल्ड लोन में एनपीए 21.03% बढ़ा है।
गोल्ड लोन के लिए उठाए गए उपाय
वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि आरबीआई के गाइडलाइंस के तहत गोल्ड लोन से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए कई उपाय किए गए हैं। इसमें गिरवी रखे गए सोने का सही वैल्यूएशन, एसिड परीक्षण, टचस्टोन परीक्षण, और एक्स-रे जैसे तरीके शामिल हैं ताकि सोने की शुद्धता की जांच की जा सके। इसके अलावा, गोल्ड लोन के आकलन के लिए प्रशिक्षित अप्रेजर का पैनल बनाया गया है और लोन चुकाने में नाकाम रहने पर सोने की नीलामी की जाती है, जिसमें ग्राहकों को पहले सूचित किया जाता है और पर्याप्त समय दिया जाता है।
सरकारी कदम और रिजर्व बैंक की सलाह
वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक ने गोल्ड लोन के एनपीए के जोखिम को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं। सरकार ने 27 फरवरी 2024 को सरकारी बैंकों को सलाह दी है कि वे 1 जनवरी 2022 से लेकर 31 जनवरी 2024 तक दिए गए गोल्ड लोन की व्यापक समीक्षा करें। इसके अलावा, आरबीआई ने 30 सितंबर 2024 को गोल्ड लोन पॉलिसी और प्रक्रियाओं की सख्त निगरानी करने की सलाह दी है, ताकि लोन के एनपीए को नियंत्रित किया जा सके।
समान्य समीक्षा और गोल्ड ज्वेलरी के वैल्यूएशन पर नियंत्रण
इसके अलावा, सुनिश्चित किया गया है कि गोल्ड ज्वेलरी के वैल्यू के 75% से ज्यादा लोन न दिए जाएं और लोन की अवधि को 12 महीने से ज्यादा न बढ़ाया जाए ताकि डिफॉल्ट का जोखिम कम किया जा सके।
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