
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद, मालदा और 24 परगना जिलों में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ हुई हिंसा के परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में हिंदू परिवारों को अपने घर छोड़कर राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है। मुर्शिदाबाद के केशव मंडल ने बताया कि शनिवार, 12 अप्रैल को उनके घर को आग लगा दी गई, जिसके बाद वे मालदा के एक राहत शिविर में शरण लेने को मजबूर हुए।
हिंसा में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि दस से अधिक लोग घायल हुए हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पुलिस को बीएसएफ की मदद लेनी पड़ी है, और केंद्र सरकार भी हालात पर नजर बनाए हुए है। इसी बीच, मुर्शिदाबाद समेत चार जिलों में इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं ताकि अफवाहों का प्रसार रोका जा सके।
राज्यपाल ने कहा है कि गृह मंत्रालय ने केंद्रीय बलों की पर्याप्त तैनाती की है, और किसी भी कार्रवाई के लिए सुरक्षा बल तैयार हैं। बीएसएफ की 9 कंपनियां वहां मौजूद हैं, और राज्य पुलिस के अलावा केंद्रीय सुरक्षा बलों की भी तैनाती की गई है। केंद्रीय सुरक्षा बल संकट में फंसे लोगों को समय पर मदद पहुंचा रहे हैं। उपद्रवियों और उनके आकाओं को यह एहसास होना चाहिए कि यह एक बड़ी लड़ाई होगी। किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी। यह हिंसा और अन्याय के खिलाफ लड़ाई है।
इस स्थिति पर प्रतिक्रिया देते हुए, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि यदि वह कमजोर दिल के होते, तो मुर्शिदाबाद नहीं आते। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ऐसे लोगों को बढ़ावा दे रहे हैं। अखिलेश ने पार्टी के नेताओं से अपील की कि वे इतिहास की ऐसी बातें न करें, जिससे समाज में लड़ाई हो। उन्होंने कहा कि बाबा साहब ने हमें जो संविधान दिया है, उससे ज्यादा हमारे लिए सम्मान की कोई चीज़ नहीं हो सकती।
मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा ने राज्य की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति को प्रभावित किया है, और सभी पक्षों से शांति और सद्भाव बनाए रखने की अपील की जा रही है।
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