
कर्नाटक में कांग्रेस सरकार द्वारा अल्पसंख्यक ठेकेदारों को 4 फीसदी आरक्षण देने के फैसले को लेकर प्रदेश में सियासी बवाल खड़ा हो गया है। बीजेपी ने इस फैसले को हिंदू विरोधी करार दिया है और कांग्रेस की लीडरशिप पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कर्नाटक सरकार के फैसले पर तीखा हमला किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म "एक्स" पर लिखा कि कर्नाटक में कांग्रेस सरकार द्वारा शासकीय कार्यों में धर्म आधारित आरक्षण लागू करना अनुचित और निंदनीय है। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक देश में किसी धर्म विशेष को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से नियम-प्रावधान कैबिनेट से पास कर लागू करना कांग्रेस के अनैतिक चरित्र को दर्शाता है।
सीएम मोहन यादव ने आगे कहा, "दलित, पिछड़े और समाज के वंचित वर्गों के उत्थान के लिए भारतीय जनता पार्टी निरंतर काम कर रही है, जिससे सभी वर्गों को समाज में सम्मान और अधिकार मिल सके।"
उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि यह पार्टी हमेशा संविधान के मूल्यों का सम्मान करने के बजाय जातिगत पक्षपात और भेदभाव की भावना को बढ़ावा देने का काम कर रही है। यादव ने कहा, "कांग्रेसी भारत जोड़ो नहीं, बल्कि भारत तोड़ो की नीति पर काम कर रहे हैं। कर्नाटक सरकार का यह फैसला इस अपशिष्ट राजनीति का उदाहरण है।"
सीएम मोहन यादव ने यह भी दावा किया कि इस तरह के धर्म आधारित आरक्षण के खिलाफ पहले भी न्यायालयों ने कई बार निर्णय दिए हैं और इस बार भी कर्नाटक सरकार का यह फैसला न्यायालय में नहीं टिक पाएगा।
मोहन यादव ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से अपील की कि वे इस तुष्टिकरण के फैसले को वापस कराने के लिए उचित कार्रवाई करें। उन्होंने कहा, "मैं धर्म आधारित आरक्षण की कड़ी आलोचना करता हूं और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से यह आग्रह करता हूं कि इस निर्णय को वापस लिया जाए।"
कर्नाटक सरकार का यह फैसला राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह कर्नाटक के ठेकेदारों को धर्म आधारित आरक्षण देने का प्रस्ताव करता है। कांग्रेस का कहना है कि यह फैसला अल्पसंख्यक समुदाय के आर्थिक और सामाजिक उत्थान के लिए लिया गया है, लेकिन बीजेपी और अन्य विरोधी दल इसे तुष्टिकरण की राजनीति और संविधान के खिलाफ मानते हैं।