
नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने संविधानिक न्यायलयो के लिए दिशा निर्देश बनाये है जिसके अनुसार, गलत करे वाले सदस्यो को बराबरी के दंड देने की प्रक्रिया की छटनी करि जाएगी, इसकी वजह से किसी को मन-चाहा दंड देने की रीती का अंत होगा और न्यायालय की जूरिस्डिक्शन विशेषता में सुधार आएगा।
न्यायाधीश सूर्य कांत और एन.के. सिंह के फैसले के अनुसार, जो भारत के सर्वोच्च न्यायालय की रूलिंग पे आधरित है और यह रूलिंग राजा राम पाल प्रकरण में उजागर हुई थी (कॅश फॉर क्वेरी) जिसमे 5 जजो ने सदस्यों की शक्ति, सौभाग्य और प्रतिरक्षा का विश्लेषण किया था और कहा था पार्लियामेंट और असेंबली के पास सदस्य को ठोस संविधानिक वजह के कारण निलंबित करने की शक्ति होती है।
पार्लियामेंट के फैसले को सही बताते हुए एम्.पि. के निष्कासन की सराहना करते हुए 5 जजों की बेंच ने कहा की, "यह निष्कासन की शक्ति लोकतंत्र की प्रक्रिया के विरुद्ध नहीं है, जबकि यह तो लोकतंत्र को सहारा प्रदान करती है।
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