**प्रकाश पर्व: गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती का महत्व**
प्रकाश पर्व सिख धर्म का एक महत्वपूर्ण और पवित्र उत्सव है, जिसे गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती के रूप में मनाया जाता है। सिख धर्म में दस गुरु हुए हैं, जिनमें गुरु गोबिंद सिंह जी आखिरी और दसवें गुरु थे। उनका जन्म 22 दिसंबर 1666 को पटना, बिहार में हुआ था, लेकिन उनकी जयंती पौष माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है, जो 2025 में 6 जनवरी को है।
### क्यों मनाते हैं प्रकाश पर्व?
प्रकाश पर्व का उद्देश्य न केवल गुरु गोबिंद सिंह जी के योगदान को याद करना है, बल्कि यह दिन उनके द्वारा फैलाए गए सत्य, ईमानदारी, और सेवाभाव के प्रकाश को भी मान्यता देने का है। गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने समय में समाज में अंधकार और अन्याय के खिलाफ संघर्ष किया। उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की, जो शौर्य और साहस का प्रतीक है।
गुरु गोबिंद सिंह जी का यह उत्सव "प्रकाश पर्व" कहलाता है क्योंकि यह दिन अंधकार को दूर करने और सत्य के मार्ग पर चलने के संदेश को प्रसारित करता है। गुरु ने न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान की बात की, बल्कि शौर्य और न्याय की ओर भी लोगों को प्रेरित किया।
### प्रकाश पर्व के आयोजन
प्रकाश पर्व के दौरान गुरुद्वारों को सजाया जाता है, और नगर कीर्तन, अरदास, भजन, कीर्तन और प्रभात फेरी आयोजित की जाती हैं। इस दिन विशेष रूप से लंगर का आयोजन किया जाता है, जिसमें समाज के हर वर्ग के लोग एक साथ बैठकर प्रसाद ग्रहण करते हैं। यह दिन एकता, भाईचारे और समाज के हर व्यक्ति के प्रति सम्मान और सेवा का प्रतीक है।
गुरु गोबिंद सिंह जी के जन्मोत्सव को प्रकाश पर्व के रूप में मनाना, उनकी शिक्षाओं को फैलाने और उनकी दी हुई खालसा वाणी "वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह" के संदेश को याद करने का अवसर है।
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