
चार माह तक चलने वाले मास को चातुर्मास के नाम से जाना जाता है. हिंदू धर्म में चातुर्मास का बहुत महत्व है और इसे बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. चातुर्मास भगवान विष्णु जी को समर्पित है.
कब शुरु होता है चातुर्मास?
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से चातुर्मास की शुरुआत हो जाती है. इस दिन को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. देवशयनी एकादशी एकादशी के दिन सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं और इसके बाद सावन माह की शुरुआत हो जाती है और भगवान शिव विष्णु जी के योग निद्रा में जाने के बाद संसार की बागडोर अपने हाथ में रख लेते हैं.
चार माह तक चलने वाले चातुर्मास का अंत देवउठनी एकादशी के दिन होता है. इस दिन विष्णु जी जागते हैं और संसार की बागडोर अपने हाथ में लेते हैं. देवउठनी एकादशी के दिन से शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है.
साल 2024 में देवउठनी एकादशी 12 नवंबर को पड़ रही है. इस दिन से मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी. देवउठनी एकादशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ती है.
चातुर्मास 2024 तिथि
चातुर्मास में नहीं होते मांगलिक कार्य
चातुर्मास के दौरान मांगलिक कार्य नहीं किए जाते. देवउठनी एकादशी के बाद ही मांगलिक कार्यों का आरंभ होता है. इन चार महीनों में भोलेनाथ और माता लक्ष्मी ती आराधना की जाती है. चातुर्मास में सगाई, मुंडन, शादी, नामकरण संस्कार और गृह प्रवेश नहीं करवाना चाहिए. इन चार महीनों में तामसिक भोजन को ग्रहण नहीं करना चाहिए. इस दौरान जाप, ध्यान, पाठ और आत्म-चिंतन करें. इन चार महीनों में दान-पुण्य का विशेष महत्व है.