आज मुंबई ताज हमले की 15वीं बरसी है। आज ही के दिन 15 वर्ष पूर्व मुंबई गोलियों की आवाज से दहल गया था। इस हमले के 15 साल बीत जाने के बाद भी क्या 26/11 जैसा हमला मुंबई या देश के अन्य हिस्से में दोबारा हो सकता है? क्या अब देश की सुरक्षा एजेंसी इस तरह के आतंकी हमले की साजिश को नाकाम करने में सक्षम है? 11 सितंबर 2001 को न्यूयार्क सिटी में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के ट्विन टॉवर पर अलकायदा के आतंकियों द्वारा हवाई जहाज को ट्विन टावर मैं टकराकर एक भयानक आतंकी हमला किया गया था जिसको 9/11 आतंकी हमला भी बोला जाता है। भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में ऐसा ही आतंकी हमला 26 नवंबर 2008 की रात में लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) द्वारा अंजाम दिया गया था जिसको 26/11 मुंबई हमले के नाम से जाना जाता है। उस हमले के दौरान आतंकवादियों ने मुंबई के दो पांच सितारा होटलों, एक अस्पताल, रेलवे स्टेशनों और एक यहूदी केंद्र को निशाना बनाया था। इस हमले में 166 लोगों की मौत और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
26/11 हमलों के तुरंत बाद सरकार की ओर से सुरक्षा के मोर्चे पर कुछ अहम फैसले लिए गए। इनमें समुद्री सुरक्षा को कड़ा करना, खुफिया ग्रिड में खामियों को ठीक करना, आतंकवाद से निपटने के लिए कानूनी ढांचे को मजबूत करना , आतंकी मामलों की जांच के लिए विशेष एजेंसियों का गठन करना एवं नेशनल सुरक्षा गार्ड( अन एस जी) को और धार दार बनाना। आतंकवाद की परिभाषा का विस्तार करने के लिए गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) में संशोधन किया गया एवं देश में पहली वास्तविक संघीय जांच एजेंसी बनाने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) एक्ट को संसद द्वारा पारित किया गया था। जो NIA को किसी भी राज्य में किसी भी आतंकवाद के मामले को स्वत: संज्ञान में लेने की शक्ति देता है।
समुद्री सुरक्षा में सुधार हेतु 26/11 के बाद भारतीय नौसेना को समुद्री सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी सौंपी गई थी। साथ ही भारतीय तट रक्षक को टेरिटोरियल वॉटर्स की जिम्मेदारीऔर भारत के समुद्र तट पर सैकड़ों नए समुद्री पुलिस स्टेशनों के साथ सामंजस्य बनाने की जिम्मेदारी दी गई ।
इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के मल्टी एजेंसी सेंटर (एम ए सी) को मजबूत किया गया जिसके अंतर्गत उसका प्राथमिक काम केंद्रीय एजेंसियों, सशस्त्र बलों और राज्य पुलिस के बीच खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान का तालमेल करना होता है। सहायक एम ए सी को फिर से सक्रिय किया गया। सूचनाओं के वास्तविक समय पर आदान-प्रदान और विश्लेषण के लिए रूपरेखा तैयार की गई। इसके चार्टर मैं कट्टरपंथ और आतंकी पारिस्थिति के तंत्र को शामिल किया गया है। सरकार ने 20 मीटर से अधिक लंबे एवं 300 सकल टन भार से अधिक भारी किसी भी जहाज के लिए एक स्वचालित पहचान प्रणाली (AIS) रखना अनिवार्य कर दिया गया जो इसकी पहचान और अन्य जानकारी प्रसारित करता है। एन एस जी को भी पहले के मुकाबले ज्यादा बेहतर बनाया गया है। मुंबई हमले के समय एन एस जी कमांडो को हवाईअड्डे पर आठ घंटे तक विमान नहीं मिलने के कारण इंतजार करना पङा था। 2008 के बाद अब एन एस जी के मुम्बई, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता और गांधीनगर में क्षेत्रीय केंद्र स्थापित करने के साथ-साथ सुचारू रूप से कार्य कर रहे हैं। ताकि कहीं भी हमला होने की स्तिथि में कम से कम रिस्पॉन्स टाइम मैं हमले के स्थान पर पहुंचा जा सके । एनएसजी को विशेष अधिकार के तहत आपातकालीन समय में किसी भी ऑपरेटर से विमान लिया जा सकता है।
भारत अब आतंकवाद के खिलाफ देश में ही नहीं बल्कि वैश्विक मंचों से भी उग्रवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रहा है। भारत ने साल 2022 में दिल्ली में इंटरपोल की वार्षिक आम सभा, मुंबई एवं दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद विरोधी कमेटी के एक विशेष सत्र और नो मनी फॉर टेरर सम्मेलन की मेजबानी की है। हाल ही में भारत में आयोजित जी20 सम्मेलन के दौरान भारत सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ दुनिया के देशों को सख्त ऐक्शन लेने की नसीहत दी थी। साथ ही हमास-इजरायल युद्ध के दौरान भी भारत ने आतंकवादी हमलों की कड़ी निंदा की है।
लेकिन भारत मे आज भी हमास जैसे आतंकी संगठन द्वारा 7 अक्टूबर के हमले के समर्थन में खड़े कुछ लोग एवं संगठन देश के खिलाफ माहौल बनाने के लिए कोई भी मौका नहीं चुकते हैं, उनसे सतर्क रहने के साथ-साथ उनका मुकाबला करने के लिए नए कानूनी प्रावधान पर भी विचार करने की जरूरत है जिससे कि आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को जमीनी स्तर पर लागू किया जा सके एवं भारत के हर नागरिक की जान एवं माल की पूरी तरह सुरक्षा की जा सके .....