
अजमेर: बिजयनगर रेप-ब्लैकमेल कांड में शुक्रवार को अजमेर की पॉक्सो कोर्ट में तीन आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने कैफे संचालक श्रवण जाट और दो नाबालिग आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं। इससे पहले 4 जून को पूर्व पार्षद हकीम कुरैशी की जमानत याचिका भी खारिज हो चुकी है।
कैफे संचालक की भूमिका
सरकारी वकील प्रशांत यादव ने बताया कि चील आउट कैफे में नाबालिग पीड़िताओं के साथ रेप की वारदात हुई थी। कैफे संचालक श्रवण जाट आरोपियों के संपर्क में था और जानबूझकर नाबालिग पीड़िताओं को गलत काम के लिए कैफे में शरण देता था। वारदात के समय वह कैफे में मौजूद था। मामले का खुलासा होने के बाद श्रवण भाग गया था, जिसे कर्नाटक से गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया था। शुक्रवार को उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई।
नाबालिग आरोपियों की याचिका भी खारिज
मामले में दो नाबालिग आरोपियों ने भी जमानत के लिए याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। सरकारी वकील ने बताया कि ये नाबालिग अन्य आरोपियों के साथ मिलकर पीड़िताओं को परेशान करते थे। वे फोन पर अश्लील बातें करते, अन्य लड़कियों से दोस्ती के लिए दबाव डालते और पीड़िताओं को बुर्का पहनने, रोजा रखने व नमाज पढ़ने के लिए मजबूर करते थे।
पूर्व पार्षद की जमानत भी खारिज
4 जून को पूर्व पार्षद हकीम कुरैशी की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। कोर्ट ने टिप्पणी की कि नाबालिग लड़कियों पर रोजा रखने, कलमा पढ़ने और उनकी पसंद के कपड़े न पहनने का दबाव डालना, साथ ही आरोपियों के साथ जाने के लिए मजबूर करना गंभीर अपराध है।
पुलिस की कार्रवाई
बिजयनगर थाना पुलिस ने इस मामले में कुल 16 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें 11 बालिग और 5 नाबालिग हैं। पुलिस ने बताया कि मामले की जांच जारी है और पीड़िताओं को न्याय दिलाने के लिए सभी सबूतों की गहन पड़ताल की जा रही है।
मामले की गंभीरता
यह कांड न केवल रेप और ब्लैकमेल का मामला है, बल्कि नाबालिगों पर धार्मिक और सामाजिक दबाव डालने का भी गंभीर अपराध सामने आया है। कोर्ट के सख्त रुख से साफ है कि इस तरह के अपराधों में किसी भी तरह की रियायत नहीं दी जाएगी।
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